Sunday, April 10, 2005

दान

daan-1


द्वार पर
साधु ने पुकारा
माई कुछ दान मिले
तो कल्याण हो तुम्हारा
तभी भीतर से आवाज़ आई
महाराज ऐसा तो कुछ नहीं है
जो तुम्हारी झोली में भर दूँ
हाँ दहेज न माँगो
तो कन्यादान कर दूँ।

***


-महेश मूलचंदानी

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