Wednesday, April 13, 2005

हाइकु कविताएँ

  • हिन्दी हाइकु


संवेदनाएँ
मर गईं तो कैसे
हो कविताएँ।
***

पैसों का ढेर
नहीं पता सुख में
कितनी देर ?
***

एक ही रोटी
जली तवे पर क्या
खायेगा लाल?
***

दर्द ही दर्द
देता है सारा जहाँ
जाओगे कहाँ?
***

झोपड़ी जली
मैदान हुआ साफ
बिल्डर जीता ।
***

जब है स्वार्थ
तब तक है आस्था
अगला रास्ता ।
***

है सब कुछ
फिर भी ढ़ूँढ़ता हूँ
कुछ न कुछ ।
***

भूखे पेट को
रोटी क्या मिल गई
आस्था हिल गई।
***

तुम्हें खोने का
डर रहता सदा
मेरी ये सजा।
***

जरा सोच लूँ
तुम्हारें या अपने
आँसू पोछ लूँ।
***

तरसते हैं
छत दो वक्त रोटी
बात है छोटी।
***

आस्था‚ लगन
बंजर थी जमीन
अब चमन।
***

-महेश मूलचंदानी