द्वार परसाधु ने पुकारामाई कुछ दान मिलेतो कल्याण हो तुम्हारातभी भीतर से आवाज़ आईमहाराज ऐसा तो कुछ नहीं हैजो तुम्हारी झोली में भर दूँहाँ दहेज न माँगोतो कन्यादान कर दूँ।
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-महेश मूलचंदानी
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