वाह! महेश भाई, आपकी कविताओ मे कटाक्ष और व्यंग का बहुत सही प्रयोग है. हिन्दी ब्लागजगत मे आपका स्वागत है.
एक छोटा सा सुझाव देना चाहूँगा, आपकी कविताए अक्सर छोटी होती है, इसलिये यदि आप थोड़ा सा फोन्ट साइज बड़ा कर देंगे तो पेज और अच्छा लगेगा, जैसा कि आपने एक कविता "विडम्बना" मे किया हुआ है.
किसी भी प्रकार की सहायता के लिये बस एक आवाज दीजियेगा, मुझे अपने करीब पायेंगे.
5 comments:
क्या सटीक बातें कही हैं आपने। स्वागत है आपका हिन्दी चिट्ठाकारों की दुनिया में।
Shaandar kavitayein , bahut khub
वाह! महेश भाई, आपकी कविताओ मे कटाक्ष और व्यंग का बहुत सही प्रयोग है.
हिन्दी ब्लागजगत मे आपका स्वागत है.
एक छोटा सा सुझाव देना चाहूँगा, आपकी कविताए अक्सर छोटी होती है, इसलिये यदि आप थोड़ा सा फोन्ट साइज बड़ा कर देंगे तो पेज और अच्छा लगेगा, जैसा कि आपने एक कविता "विडम्बना" मे किया हुआ है.
किसी भी प्रकार की सहायता के लिये बस एक आवाज दीजियेगा, मुझे अपने करीब पायेंगे.
हमारा स्वागत भी स्वीकार कर लो भाई महेश मूलचंदानी जी!
इसका मतलब आप यह कहना चाहते हैं कि कभी भी ऐसा नहीं होने वाला। वैसे, हिन्दी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है।
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